
वर्षों से चली आ रही मांगों के बाद अब बच्चों के शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए बिहार सरकार ने यह निर्णय लिया है, जिसके तहत अब बच्चे अपने ही मातृभाषा में ले सकेंगे स्कूली शिक्षा।
बिहार में नई शिक्षा नीति के तहत बिहार शिक्षा विभाग द्वारा यह फैसला लिया गया है की बच्चे अब अपने ही मातृभाषा में पढाई कर सकेंगे। यह नीति 1 से 3 वर्ग तक के बच्चों के लिए लागू किया गया है। इसके साथ ही 4 और 5 वीं के बच्चों के लिए भी किये जायेंगे विशेष बदलाव।
दरअसल यह मांग अभिभावकों द्वारा कई वर्षों से उठाई जा रही थी जिसमे छोटे बच्चों के पढाई में भाषा के कारन आ रही कठनाई एक बड़ी वजह थी।
छोटे बच्चों की स्थानीय वातावरण में हुए परवरिस के कारन उनकी समझ अन्य भाषाओं के लिए उतनी विकसित नहीं होती जिसकी वजह से राष्ट्रीय भाषाओँ की पुष्तकों में लिखे शब्दों को समझ पाना उनके लिए आसान नहीं होता।
इस बदलाव के तहत जैसे ही बच्चा विभिन्न विषयों को अपनी मातृभाषा में समझना शुरू करता है, वह न केवल अपनी मातृभाषा बल्कि हिंदी और अंग्रेजी जैसे विषयों पर भी पकड़ बनाने में सक्षम हो जाएगा।
जिसके मद्देनजर बिहार शिक्षा विभाग ने बच्चों को हो रही पड़ेशानियों को ध्यान में रख उनके पाठ्य-पुष्तकों में करने जा रही जरूरी बदलाव ताकि बच्चों को शब्दों का अर्थ समझने में आसानी हो और भाषा उनके पढाई में बाधा ना बने।
सरकार के इस फैसले के बाद अब शिक्षक भी बच्चों को उनके अपनी ही मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए आधिकारिक रूप से होंगे समर्थ। सभी विषयों के शिक्षक मैथिली और भोजपुरी भाषी बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाएंगे।
बच्चे अपने मातृभाषा जैसे मैथिलि, भोजपुरी के साथ-साथ विज्ञान, गणित, हिंदी, अंग्रेजी, और उर्दू की शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इन दो भाषाओं में विज्ञान, गणित के अलावा हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू को भी पढ़ाने के लिए कार्यपुस्तिकाएं तैयार की गई हैं।
नई शिक्षा नीति के तहत हुए इस बदलाव को बिहार के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों को इसी शिक्षा सत्र से शुरू की जाएगी, इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
चौथी और पांचवी के बच्चों के लिए भी एक अलग पाठ्यक्रम तैयार करने के निर्देश
1 से 3 के बाद कक्षा चार और पांच में ऐसे बच्चों की तलाश की जा रही है, इसके अंतर्गत जिन बच्चों की भाषा और गणित आदि पर पकड़ कमजोर है उन्हें उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाएगा।
बिहार शिक्षा परियोजना इसके लिए सर्वे शुरू करने जा रही है। फिलहाल बिहार एससीईआरटी इन कक्षाओं के लिए अलग से सिलेबस भी तैयार कर रही है। विशेष रूप से बच्चों की मांग के अनुसार कार्यपुस्तिका स्कूलों को भेजी जाएंगी।
शिक्षा सेवकों का होगा तबादला
महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना एवं शिक्षा मरकज से जुड़े शिक्षकों को एक माह के भीतर अन्य पंचायतों या केंद्रों में भेजा जाएगा।
इस तरह से कुल 26,852 शिक्षकों का तबादला किया जाएगा। वे आठ से नौ साल से एक ही जगह पर जमे हुए हैं।
योजना में जड़ता दूर करने का प्रयास
दरअसल, शिक्षा विभाग चाहता है कि उनके केंद्रों को बदलकर योजना में जड़ता खत्म की जाए। स्थानांतरण का यह निर्णय मंगलवार को बिहार पाठ्य पुस्तक समिति भवन के सभागार में जिला कार्यक्रम अधिकारी (साक्षरता) एवं राज्य संसाधन समूह के सदस्यों की बैठक में लिया गया।
निदेशक सह विशेष सचिव लोक शिक्षा सतीश चंद्र झा ने भी बैठक के दौरान ही इस संबंध में निर्देश जारी किए।
कार्यरत शिक्षकों की संख्यां
हालिया जानकारी के अनुसार अब तक प्रदेश में 26 हजार 856 शिक्षक कार्यरत हैं। उनका काम उस मोहल्ले के बच्चों को कोचिंग देना और उन्हें प्राथमिक स्कूलों की मुख्यधारा से जोड़ना है। इसके साथ ही, शिक्षक उस इलाके की 15-45 आयु वर्ग की निरक्षर महिलाओं के बीच कार्यात्मक साक्षरता बढ़ाने में योगदान करते हैं।