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श्रीलंका की निकली दिवालिया, महंगाई 17 फीसदी को भी पार कर चुकी है – इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक संकट

देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी के कारन वह अपने जरूरी आयात भी नहीं कर पा रहा है, जिससे देश के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

ब्रेड और दूध जैसी जरूरी चीजों के दाम भी आसमान पर हैं. खबरों के अनुसार, अभी श्रीलंका में ब्रेड के एक पैकेट की कीमत 150 रुपये, दूध का पाउडर 1,975 रुपये किलो हो चुकी है। इसी तरह एलपीजी गैस सिलेंडर का दाम 4,119 रुपये, पेट्रोल 254 रुपये लीटर और डीजल 176 रुपये लीटर बिक रहा है।

अब तक कुल 7 खरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज; राष्ट्रपति ने आर्थिक आपातकाल किया घोसित। लोगों के पास खाने के पड़े लाले, ईंधन की कमी से यातायात हुई ठप्प।

विदेशी मुद्रा की भरी कमी की वजह से श्रीलंका तेल के आयात के लिए पैसों का भुगतान नहीं कर पा रहा, साथ ही जरूरी उत्पादों का भी आयात नहीं कर पा रहा है।

खाद्य और ईंधन की कीमतों के नियंत्रण से बाहर होने और अब, गंभीर कमी के साथ, जनवरी के बाद से ही मामलों ने बदतर मोड़ ले लिया है। अपने विदेशी मुद्रा भंडार के लगभग समाप्त होने के साथ, 2.2 करोड़ लोगों का चावल, दूध और मिट्टी के तेल जैसी बुनियादी ज़रूरतों का भी आयात करने में असमर्थ है।

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, जिन्हें गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए उनके समर्थकों द्वारा “टर्मिनेटर” के रूप में प्रशंसा मिली, ने कहा कि उनका देश संकट से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ काम करेगा।

उन्होंने पिछली सरकारों पर मंदी का आरोप लगाया। गोटाबाया ने कहा, “जब संकट में योगदान देने वाले लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं, तो मैं इसे हल करने और लोगों को राहत देने की कोशिश कर रहा हूं।”

बड़ी संख्यां में श्रीलंकन नागरिकों का हो रहा है भारत की तरफ पलायन, लोग 40 घंटों की सफर तय कर पहुँच रहे भारत, दक्षिण भारत के राज्यों में ले रहे शरण।

यह पलायन भारत के लिए भी संकट खड़ा कर सकता है। भारतीय उच्चआयोग ने अब तक 140 करोड़ डॉलर देकर किया मदत, आगे भी मदत करने का दिया सहारा।

श्रीलंका के मिडिया ने कहा इस संकट की घरी में भारत ही हमारी मदत कर रहा है। चीन हमे गुलाम बनाने की कोसिस में लगा है, नहीं की किसी प्रकार की कोई मदत। श्रीलंका के पास अब 4.8 खरब डॉलर ही बचे हैं।

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